दिल खामोश सा रहता है आज कल…. मुझे शक है कहीं मर तो नही गया
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मंज़िल का पता है
मंज़िल का पता है न किसी राहगुज़र का बस एक थकन है कि जो हासिल है सफ़र का…
अब तो आंखे भी
अब तो आंखे भी थक गई तेरी याद में रोते-रोते,कम्बख्त दिल है कि तुजे भुलाना ही नही चाहता|
जो जले थे
जो जले थे हमारे लिऐ, बुझ रहे है वो सारे दिये, कुछ अंधेरों की थी साजिशें, कुछ उजालों ने धोखे दिये..
रंग बातें करें
रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए|
हमसे मत पूछिए
हमसे मत पूछिए जिंदगी के बारे में, अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे में!
किसे खोज रहे तुम
किसे खोज रहे तुम इस गुमनाम सी रुह में. वो लफ़्जो में जीने वाला अब खामोशी में रहता है|
उसे छत पर
उसे छत पर खड़े देखा था मैं ने कि जिस के घर का दरवाज़ा नहीं है|
न शाख़ ने थामा
न शाख़ ने थामा, न हवाओं ने बक्शा, वो पत्ता आवारा ना फिरता तो क्या करता।
रोज एक नई तकलीफ
रोज एक नई तकलीफ रोज एक नया गम, ना जाने कब ऐलान होगा की मर गए हम