हमने कब कहा कीमत समझो

हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी… , हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते…. …… ……….

बिन तेरे मुझको ज़िंदगी

बिन तेरे मुझको ज़िंदगी से ख़ौफ़ लगता है, किश्तों में मर रहा हूँ रोज़ लगता है……..

मेरी गली से गुजरा.. घर तक

मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया, , , , अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला… …… ………..

वो मुझसे रिश्ता तोड़ कर

वो मुझसे रिश्ता तोड़ कर चली गयी, बस ये कहकर, मैं तो तुमसे मोहब्बत सीखने आई थी, किसी और के लिए..!!

काश! मैं ऐसी बात लिखूँ तेरी याद

काश! मैं ऐसी बात लिखूँ तेरी याद में तेरी सूरत दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में..

बड़ी कशमकश में हूँ बच्चो

बड़ी कशमकश में हूँ बच्चो को क्या तालीम दूँगा, मुझे सिखाया गया था कुछ और मेरे काम आया कुछ और………

ये बात होश की नही ये रंग बेखुदी का है

वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर, बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।

वो अनजान चला है जन्नत

वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर, बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।

वो अनजान चला है जन्नत

वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर, बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।

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