ना खुशी की तलाश है

ना खुशी की तलाश है ना गम-ए-निजात की आरज़ू, मै ख़ुद से ही नाराज हूँ तेरी नाराजगी के बाद।

करें किसका यक़ीन

करें किसका यक़ीन यहाँ सब अदाकार ही तो हैं, गिला भी करें तो किससे करें सब अपने यार ही तो हैं।

रोज़ एक ज़ख़्म

रोज़ एक ज़ख़्म माँगता है इश्क, मेरी गठरी में इतना माल कहाँ|

तुमको दे दी है

तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैने.. माँगने से ना मिलूँ….तो चुरा लो मुझको..

बुरा बुरे के अलावा

बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है |

तेरी आँख का मंजर

गुम है जो तेरी आँख का मंजर तलाश कर। बाहर जो खो गया है उसे अपने अंदर तलाश कर। जो तुझ को तेरी जात से बाहर निकाल दे। दश्त-ऐ-जूनून में ऐसा कलन्दर तलाश कर ।।

दौलत वालो में

दौलत वालो में ये जनून कहाँ …. ‘ गालिब ‘ ये सिर्फ इश्क वाले है जो हर चीज लुटा दिया करते है ..,…

ये सवाल करती है

मेरी रातें मुझसे ये सवाल करती है.. तेरी सुबह कोई जवाब क्यू नहीं देती…

तुझे याद कर लूं

तुझे याद कर लूं तो मिल जाता है सुकून दिल को,मेरे गमों का इलाज भी कितना सस्ता है..।।

बहुत दूर तक

बहुत दूर तक जाने के बाद समझ आई, कि कुछ राहों की मंज़िल नहीं होती।

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