काश तुझ पर भी लागु होता सुचना का अधिकार ऐ जिंदगी.. मुझे तुझसे भी कई सवाल-जवाब करने थे…
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तू मूझे नवाज़ता है
तू मूझे नवाज़ता है ये तेरा करम है मेरे मौला वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ…
मैने अपने साये को
मैने अपने साये को भी मार डाला है मेरी तन्हाई अब मुक्कमल है।
मैं एक क़तरा हूँ
मैं एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी शिफ़त दे दे मौला , कोई प्यासा जो नजर आये तो दरिया बन जाऊ ।।
बरसती फुहारों में
बरसती फुहारों में भीग कर आराम सा लगता है किसी फरिश्ते का नशीला भरा जाम सा लगता है अक्सर देखता हूं मतलब में भागती इस दुनिया को हर शख्स यहाँ बईमान सा लगता है |
रेशा-रेशा उधेड़कर
रेशा-रेशा उधेड़कर देखो..याराे.. रोशनी किस जगह से काली है..
इन आँसुओं का
इन आँसुओं का कोई क़द्र-दान मिल जाए.. कि हम भी ‘मीर’ का दीवान ले के आए हैं.
कहीं कहीं तो ज़मीं
कहीं कहीं तो ज़मीं आसमाँ से ऊँची है ये राज़ मुझ पे खुला सीढ़ियाँ उतरते हुए..
राख बेशक हूँ
राख बेशक हूँ पर मुझमे हरकत है अभी भी, जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको..
अधूरी हसरतों का
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर, अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती…