तुमसे इंसानियत का रिश्ता

तुमसे इंसानियत का रिश्ता , सरकारी गवाहों का मोहताज़ नही मोहब्बत मुल्क की मिट्टी में बसी , सियासत पूरे आवाम की आवाज़ नही ।।

चलो कुछ बात करते हैं

चलो कुछ बात करते हैं, बिन बोले बिन सुने एक तन्हा मुलाक़ात करते हैं|

पैसों के लिये

पैसों के लिये नाता तोड़ने वाले पैसा छुपाने के लिये रिश्तेदार ढूँढ रहे है |

चाहकर भी मेरे

चाहकर भी मेरे लब पर ये फ़रियाद आ जाती है ऐ चाँद, सामने न आ किसी की याद आ जाती है…!!

काश मुलाकात हो

काश मुलाकात हो तुमसे कुछ इस तरह मेरी सारी जिंदगी बस एक मुलाकात में गुजार लूँ|

जब बिखरेगा तेरे गालों पर

जब बिखरेगा तेरे गालों पर तेरी आँखों का पानी,तब तुझे अहेसास होगा की मोहब्बत किसे कहते है !!

कुछ बातें कह दी जायें

कुछ बातें कह दी जायें तो मुनासिब हैं…… कि प्यार हो या नफरत ज़ाहिर हो जाये तो अच्छा है ..

छू जाते हो

छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर.. ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं..

जानते थे मरने तक

जानते थे मरने तक सताओगे, लेकिन मार के भी सताओगे… ऐसा तो कभी सोचा भी न था|

तुम याद आओगे

तुम याद आओगे, यकीन था मुझे… इतना आओगे, अंदाजा नहीं था|

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