कांच के कपड़े

कांच के कपड़े पहनकर हंस रही हैं बिजलियां उनको क्या मालूम मिट्टी का दीया बीमार है…

कोई ठुकरा दे

कोई ठुकरा दे तो हँसकर जी लेना.. दोस्तों क्यूँकि मोहब्बत की दुनिया में ज़बरदस्ती नहीं होती..

दर्द की हद को

दर्द की हद को समझना है तो ये कर ले… जो किसी और को चाहे बस उससे मुहब्बत|

अच्छा हुआ के

अच्छा हुआ के वक़्त पर ठोकर लगी मुझे छूने चला था चाँद को दरिया में देखकर

कबर की मिट्टी

कबर की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं; लोग मरते हैं तो गुरूर कहाँ जाता है!!!

मंद मंद मुस्कान

मंद मंद मुस्कान नूरानी चहरे पर, गालो पे जुल्फे बैठी है पहरे पर, आंखो मे तीरी महताब सी रौशनी, काजल बन जाये तलवार तेरे चहरे पर…

खुश मिज़ाज लोग

खुश मिज़ाज लोग टूटे हुए होते हैं अंदर से… बहुत रोते हैं वो जिनको लतीफे याद रहते हैं…

एक वादा है

एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं वरना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं जी में आता है उलट दें उनके चेहरे से नक़ाब हौसला करते हैं लेकिन हौसला होता नहीं…

इन होंठो की

इन होंठो की भी न जाने क्या मजबूरी होती है, वही बात छुपाते है जो कहनी जरुरी होती है !!

अपने ही रंग से

अपने ही रंग से तस्वीर बनानी थी मेरे अंदर से भी सभी रंग तुम्हारे निकले|

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