चंद ख़ामोश ख्याल

चंद ख़ामोश ख्याल और तेरी बातें,ख़ुद से गुफ़्तगू में गुज़र जाती है रातें ….

मैं ख़ामोशी तेरे मन की

मैं ख़ामोशी तेरे मन की तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा..! मैं एक उलझा लम्हा तू रूठा हुआ हालात मेरा..!!

ख़्वाब टूटे हैं

ख़्वाब टूटे हैं मगर हौंसले तो ज़िंदा हैं हम वो शै है जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं।

आग लगे तो

आग लगे तो शायद अंधेरा पिघले तेरी चिता की कोख से जब सूरज निकले।

उस टूटे झोपड़े में

उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के

एक खूबसूरत कहानी

एक खूबसूरत कहानी रात के आगोश में पनाह लेगी, चाँद निकाह कराएगा और चाँदनी गवाही देगी….

बहुत दूर चले आयें है

बहुत दूर चले आयें है हम अपने गाँव और मकान से! बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है ऐ शहर बेहतर जिंदगी बनाने में !!

एक नींद है

एक नींद है जो रात भर नहीं आती और एक नसीब है जो पता नही कब से सो रहा है।

कुछ यादें गुमनाम

ना हमने चिट्ठी लिखी ना भेजे पैगाम बिना बुलाए आ गयीं कुछ यादें गुमनाम

वो मेरे चेहरे तक

वो मेरे चेहरे तक अपनी नफ़रतें लाया तो था, मैंने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया !

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