कैसे बदलदू मै

कैसे बदलदू मै फितरत ए अपनी मूजे तुम्हें सोचते रहनेकी आदत सी हो गई है….

बदन के घाव

बदन के घाव दिखाकर जो अपना पेट भरता है, सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है।

ख़त्म हो भी तो कैसे

ख़त्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू, ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही।

न छेड़ क़िस्सा वो

न छेड़ क़िस्सा वो उल्फत का, बड़ी लम्बी कहानी है ! मैं ज़िंदगी से नहीं हारा, बस किसी पे एतबार बहुत था ..

हमने कहा था

हमने कहा था दिल दे दो और जान ले लो, उसने दिल दिया नहीं और जान भी ले ली।

वो पत्थर कहाँ मिलता है

वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त, जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं..

दाग शराफत के

दाग शराफत के कुछ ऐसे लगे थे , ज़िन्दगी भी खुल के हम जी न पाये।

कहीं किसी रोज यूँ

कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…

शायर तो कह रहा था

शायर तो कह रहा था कि हमने कहा है शेर और शेर कह रहा था चुराए हुए हैं हम….!

तेरे गुरूर को

तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने, जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!!

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