अजनबी शहर में

इस अजनबी शहर में ये पत्थर कहाँ से आया फराज़ लोगों की इस भीड़ में कोई अपना जरूर है

बहुत ही सादा हू

बहुत ही सादा हू मैं और ज़माना अय्यार.. खुदा करे कि मुझे शहर की हवा न लगे….

बता देती है

नजरें सब बता देती है नफ़रतें भी, हसरतें भी

तुम्हें भी याद

तुम्हें भी याद नहीं और मैं भी भूल गया वो लम्हा कितना हसीं था मगर फ़िज़ूल गया

हर रोज कयामत

तेरे बगैर जीने का तजुर्बा भी हसीन होगा….हर रोज मरूंगा मैं, हर रोज कयामत होगी…..

गुफ़्तगू नहीं करते

लफ़्ज़ जब तक वज़ू नहीं करते हम तेरी गुफ़्तगू नहीं करते तू मिला है ऐसे लोगो को जो तेरी आरज़ू नहीं करते

didar karte hain

Agr Labo se baat ho gaur mat karna Kyunki yehi lab kise Aur se didar karte hain

शादी मे बहू

शादी मे बहू क्या लेकर आयी ये तो सब पुछते है पर कभी ये सोचा वो क्या क्या छोड़ कर आयी है

सिर्फ चेहरा ही नहीं

सिर्फ चेहरा ही नहीं शख्सियत भी पहचानो , जिसमें दिखता हो वही आईना नहीं होता

दुआ कुबूल नहीं होती

किसी ने ग़ालिब से कहा सुना है जो शराब पीते हैं उनकी दुआ कुबूल नहीं होती …. ग़ालिब बोले: जिन्हें शराब मिल जाए उन्हें किसी दुआ की ज़रूरत नहीं होती

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