कभी तुम हुए

कभी तुम हुए, कभी हम हुए, ज़माने में दो ही तो मौसम हुए ..

मशहूर थे कभी जो

मशहूर थे कभी जो मेरे नाम से.. . . काफी दिनों से उनका पता ढूंढ़ रहा हूँ…!

क्या लिखूँ दिल की

क्या लिखूँ दिल की हकीकत, आरज़ूएँ बेहोश हैं, ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है!

तोड़ो न तुम …

तोड़ो न तुम …आईने….चेहरे हजार दिखेंगे…. अभी तो …..हम सिर्फ एक है ….फिर बेशुमार दिखेंगे…..

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत.. गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..

वो उतरता कहाँ है

वो उतरता कहाँ है लफ़्ज़ों में रोज़ लिखते हैं, फाड़ देते हैं।

किश्तों में खुदकुशी

किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी, इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।

मैं उसका हाथ ही

मैं उसका हाथ ही थामे रहा… तो उसने कहा………. मेरे बदन में…. कमर… लब.. और कलाईयाँ भी हैं..

घर की इस बार

घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब” मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है

मुझसे बातें करके

मुझसे बातें करके देखना , मै बातों मे आ जाता हूँ !!

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