कर्मो से ही पहचान होती है इंसानों की

कर्मो से ही पहचान होती है इंसानों की.. अच्छे कपड़े तो बेजान पुतलो को भी पहनाये जाते है

गंदगी नज़रों में होती है

गंदगी नज़रों में होती है वरना कचरा बीनने वालों को तो कचरे में भी रोटी दिखती है..

उस गरीब कि उम्मीदे भी क्या होगी

उस गरीब कि उम्मीदे भी क्या होगी…. जिसकी सांसे गुब्बारो मे बिकती है….

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