सारा जंगल तलाश कर

सारा जंगल तलाश कर डाला, सांप अपनी ही आस्तीन में मिला।।

आज तू ही

आज तू ही बता दे तू है कौन, तेरी हर बात छू जाती है दिल को मेरे।।

हम में तो ख़ैर हिम्मत है

हम में तो ख़ैर हिम्मत है “दर्द ” सहने की, तुम बताओ थक नहीं जाते दर्द देते देते…!!

बड़ा अरमान था

बड़ा अरमान था तेरे साथ जीवन बिताने का; शिकवा है बस तेरे खामोश रह जाने का; दीवानगी इससे बढ़कर और क्या होगी? आज भी इंतज़ार है तेरे आने का!

न मेरा एक होगा

न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा, न तारिफ तेरी होगी, न मजाक मेरा होगा. गुरुर न कर “शाह-ए-शरीर” का, मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा !!!

पहचान कहाँ हो पाती है

पहचान कहाँ हो पाती है, अब इंसानों की!! अब तो गाड़ी, कपडे और जूते लोगों की औकात तय करते है!!!

में तो चिराग हू

में तो चिराग हू तेरे आशियाने का कभी ना कभी तो बुझ जाऊंगा … आज शिकायत है तुझे मेरे उजाले से कल अँधेरे में बहुत याद आऊंगा …

जब खुदा ने

जब खुदा ने इश्क बनाया होगा, तब उसने भी इसे आजमाया होगा.. हमारी औकात ही क्या है, कमबख्त इश्क ने तो खुदा को भी रुलाया होगा!

बहुत दूर है

बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा……! पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा….!!

वाह रे जिन्दगी !

वाह रे जिन्दगी ! भरोसा तेरा एक पल का नहीं; और नखरे तेरे, मौत से भी ज्यादा ।

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