बिना मतलब के दिलासे भी नहीं मिलते यहाँ , लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं |
Tag: पारिवारिक शायरी
लड़ के थक चुकी हैं
लड़ के थक चुकी हैं जुल्फ़ें तेरी छूके उन्हें आराम दे दो, क़दम हवाओं के भी तेरे गेसुओं से उलझ कर लड़खड़ाने लगे हैं!
बस तू सामने बैठ
बस तू सामने बैठ मुझे दीदार करने दे, बातें तो हम खुद से भी कर लिया करते हैं।
शायरी के शोंक ने
शायरी के शोंक ने इतना तो काम कर दिया, जो नहीं जानते थे उनमें भी बदनाम कर दिया।।
बड़ी हसरत है
बड़ी हसरत है पूरा एक दिन इक बार मैं अपने लिए रख लूँ, तुम्हारे साथ पूरा एक दिन बस ख़र्च करने की तमन्ना है…
ख्वाईश की बात
ख्वाईश की बात ना कर ,तेरे साँसों में शामिल हूँ …!! यकीं ना हो ,धडकनों से पूछ ,तेरे रग रग में शामिल हूँ|
कभी चुप तो
कभी चुप तो कभी गुम सी हैं, ये बारिशें भी बिलकुल तुम सी हैं।
उदास नहीं होना
उदास नहीं होना, क्योंकि मैं साथ हूँ! सामने न सही पर आस-पास हूँ! पल्को को बंद कर जब भी दिल में देखोगे! मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ!
कोई कहता है
कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है! कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है! पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से, तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है|
मोहब्बत ऐसी थी
मोहब्बत ऐसी थी कि उनको दिखाई न दी! चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी! चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर! दुरिया इतनी थी कि मिटाई न गयी!