हमको महसूस किया

हमको महसूस किया जायेगा खुशबु की तरह …. हम कोई शोर नहीं जो सुनाई देंगे !!

मेला लग जायेगा

मेला लग जायेगा उस दिन शमशान में…जिस दिन में चला जाऊंगा आसमान में….!!

एहसान जताने का

एहसान जताने का हक भी हमने दिया उन्हे साहिब, और करते भी तो क्या करते,प्यार था हमारा कैदी नहीं था…

सुनो तुम चाहो तो

सुनो तुम चाहो तो अपने हाथों से संवार देना बाल बिखरा के भेजी है हमारी तस्वीर हमने|

जी ढूँढता है

जी ढूँढता है घर कोई दोनों जहाँ से दूर इस आप की ज़मीं से अलग आसमाँ से दूर|

मैंने कब उससे

मैंने कब उससे रिआयत की गुज़ारिश की थी वो हर इक बात पे एहसान जताता क्यूँ है !

मेरे गुनाहों की सज़ा

मेरे गुनाहों की सज़ा तुझे मिली है आज माना अब तो ताउम्र मुझे, अपनी सज़ा का इंतज़ार होगा ।।

बर्फ़ डूब कर

बर्फ़ डूब कर मर गयी शराब में, होंठ लाश तलाश रहे हैं …..

क़ुर्बानी देनी ही है

क़ुर्बानी देनी ही है तो अपने ऐबों की दो.. इन मासूम जानवरों को मार कर जन्नत नसीब नहीं होगी..

ख़ैर आदी है हम

मुझे लहज़े खफ़ा करते हैं तुम्हारे, लफ़्जों के तो ख़ैर आदी है हम….

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