वाक़िफ़ कहाँ ज़माना

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से…

तुम्हारे बगैर ये वक़्त

तुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन और ये रात.. गुजर तो जाते हैं मगर, गुजारे नहीं जाते|

कुछ बोले बिना

कुछ बोले बिना फिर तुम चले गए अब सपनो में आओगे…. बिना इज़ाज़त ये आदत ठीक नहीं तुम्हारी…

क्यूँ नहीं महसूस होती

क्यूँ नहीं महसूस होती उसे मेरी तकलीफ….! जो कहते थे बहुत अच्छे से जानते हैं तुझे…!!!!

जब अपनी कसमें

तुझको भी जब अपनी कसमें अपने वादे याद नहीं, ऐ सनम……. हम भी अपने ख्वाब तेरी आंखों में रख कर भूल गए…

वक़्त बीतने के बात

वक़्त बीतने के बात अक्सर ये एहसास होता है…. जो छूट गया वो लम्हा बेहतर था…!!

तेरे ग़म का नमक

तेरे ग़म का नमक चख कर, ना पूछ.. किस कदर मीठी लग रही है ज़िन्दगी…

ज़रा तल्ख़ लहज़े में

ज़रा तल्ख़ लहज़े में बात कर, ज़रा बेरुखी से पेश आ…… मै इसी नज़र से तबाह हुआ हूँ, न देख मुझे यूँ प्यार से……

पत्थरों के तो

पत्थरों के तो मिज़ाज़ नहीं होते… तो ये लोग क्यूँ पत्थर -मिज़ाज़ होते है…

है दफ़न मुझमें

है दफ़न मुझमें कितनी रौनके मत पूछ, हज़ार बार उजड़ के भी बस्ता रहा, वो शहर हूं मैं…

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