सूकून ऐ जन्नत

सूकून ऐ जन्नत इस दुनिया मैं कहां, फूरसत तो तुझे मौत ही देगी |

अपने ही अपनों से

अपने ही अपनों से करते है, अपनेपन की अभिलाषा.. पर अपनों नें ही बदल राखी है, अपनेपन की परिभाषा….

मौत मेरी हो गयी

मौत मेरी हो गयी किसने कहा झूंठ है आकर सरासर देख लो

देहरी पर टकटकी लगाये

देहरी पर टकटकी लगाये सोच रही माँ बच्चे छोड़ गए अब मुझे प्यार से कौन सताएगा |

जी में जो आती है

जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं |

क़ैद ख़ानें हैं

क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के.

बुरी आदतें अगर

बुरी आदतें अगर, वक़्त पे ना बदलीं जायें… तो वो आदतें, आपका वक़्त बदल देती हैं|

मोहब्बत ठंड जैसी है

मोहब्बत ठंड जैसी है साहब।।।। लग जाये तो बीमार कर देती है।।

काश वो आकर कहे

काश वो आकर कहे, एक दिन मोहब्बत से……!! ये बेसब्री कैसी ? तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!

कौन शर्मा रहा है

कौन शर्मा रहा है यूं फुर्सत में हमें याद कर कर के, हिचकियाँ आना चाह रही हैं पर हिचकिचा रही हैं।

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