ना चाहते हुए भी

ना चाहते हुए भी आ जाता है, लबो पर नाम तेरा.. कभी तेरी तारीफों में, तो कभी तेरी शिकायत मे..!

तेरे ज़िक्र भर से

तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात जैसे.. तेरे नाम से भी इस क़दर इश्क़ है मुझ को..!

तुम्हारे बगैर ये वक़्त

तुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन और ये रात जान मेरी… गुजर तो जाते हैं मगर, गुजारे नहीं जाते…

अजीब सबूत माँगा

अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का कि मुझे भूल जाओ तो मानूँ मोहब्बत है !

अनसुना ही रह गया

अधूरा ..अनसुना ही रह गया प्यार का किस्सा, कभी तुम सुन न सके ..कभी मैं कह नही पाया !!

इजहारे मोहब्बत का

इजहारे मोहब्बत का जुनूँ गौर से देखो, पहली ही मुलाकात में परवाना मर गया …

मोहब्बत मैं ही

हम तो आगाज़े मोहब्बत मैं ही लूट गये, और लोग कहते है की अंजाम बुरा होता है !!

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