उम्मीदों के ताले पड़े के पड़े रह गए, तिज़ोरी उम्र की, ना जाने कब ख़ाली हो गई !!
Category: Zindagi Shayri
संदेशा प्रेम का
संदेशा प्रेम का देता फिरता है वो घर दिलों में सभी के ही बना देता है!
मुझे फुर्सत से
मुझे फुर्सत से मिलो सब तुम्हे बताऊंगा कौन कमज़र्फ है और कौन दुआ देता है!
इतनी चाहत से
इतनी चाहत से न देखो भरी महफ़िल में मुझे वो हरेक बात का अफसाना बना देता है!
मुश्किलें आयीं मगर
मुश्किलें आयीं मगर लौट गयीं उलटे पाँव कोई ऐसा भी है जो मुझको दुआ देता है!
अपने रिश्ते में
अपने रिश्ते में कभी शक़ को न आने देना ये बिना आग ही घर बार जला देता है!
कुछ हाथ नहीं है
सिर्फ पछतावे के कुछ हाथ नहीं है आता वक़्त बेकार में जो अपना गँवा देता है!
फख्र इतना भी
फख्र इतना भी न कर दोस्त कभी सूरत पर सेब को वक्त छुआरा भी बना देता है!
बात हुई थी
बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गयी..
उलझा के रख दिया है
उलझा के रख दिया है किसी ने जवाब को सीधा सा था सवाल….प्यार करते हो या नहीं…