आँखों में भी

आँखों में भी कुछ सपने सो जाते हैं सपनों में भी मुश्किल जब उनका आना लगता है….

यादों को याद बना कर

यादों को याद बना कर रख लिया जज्बातों को तेज़ाब बना कर रख लिया

समझ ही नहीं पाता

कुछ रिश्तों के खत्म होने की वजह सिर्फ यह होती है कि.. एक कुछ बोल नहीं पाता और दुसरा कुछ समझ ही नहीं पाता।

ये क्यूँ था

ये क्यूँ था जनाज़े पे हुजुम मेरे? जबकि तन्हा तन्हा थी जिंदगी।

अजीब सी बस्ती में

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा। जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है।

करीब ना होते हुए भी

करीब ना होते हुए भी करीब पाओगे हमें क्योंकि… एहसास बन के दिल में उतरना आदत है मेरी….

आँखे ज़िसे चुने

आँखे ज़िसे चुने वो सही हो या ना हो, दिल से किया हुआ चुनाव कभी गलत नहीं होते..!!

कैसे बदलदू मै

कैसे बदलदू मै फितरत ए अपनी मूजे तुम्हें सोचते रहनेकी आदत सी हो गई है

बदन के घाव

बदन के घाव दिखाकर जो अपना पेट भरता है, सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है।

ख़त्म हो भी तो कैसे

ख़त्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू, ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही।

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