पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है!!
Category: Whatsapp Shayri
छोडो बिखरने देते हैं
छोडो बिखरने देते हैं ज़िंदगी को.. आखिर समेटने की भी एक हद होती है…
गाँव में जो छोड़ आए
गाँव में जो छोड़ आए हजारों गज की हवेली, शहर के दो कमरे के घर को तरक्की समझने लगे हैं।
खत की खुशबु
खत की खुशबु बता रही है…. लिखते वख्त उनके बाल खुले थे…
एक आकाश था
एक आकाश था एक नदी थी मिलना मुश्किल था हालाँकि पूरा का पूरा आकाश नदी में था…
लोग तलाशते है
लोग तलाशते है कि कोई फिकरमंद हो, वरना ठीक कौन होता है यूँ हाल पूछने से?
बिखरने की आदत है
मोतियों को बिखरने की आदत है, लेकिन धागे की ज़िद है उन्हें पिरोए रखने की।
फिर इशक का जुनूं
फिर इशक का जुनूं चढ़ रहा है सिर पे, मयखाने से कह दो दरवाजा खुला रखे…
शायर तो कह रहा था
शायर तो कह रहा था कि हमने कहा है शेर और शेर कह रहा था चुराए हुए हैं हम….
कुछ तो सोचा होगा
कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तेरे-मेरे रिश्ते पर… वरना इतनी बड़ी दुनिया में तुझसे ही बात क्यों होती….