टूटने लगे हौसले तो

टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना, बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते, ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी, क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…

जो दूरियों में

जो दूरियों में भी कायम रहा.. ….वो इश्क़ ही कुछ और था।

सुनहरे ख्वाबो में

सुनहरे ख्वाबो में जो लिहाफ बार बार पहना ताबीर में वो मखमल जला जला सा लगता है।

दो वक्त की रोटी

दो वक्त की रोटी मिलने के लिए भी कितनी किस्मत चाहिए। कभी उनसे पूछो जिनको रोज रोटियां नही मिलती।

झूम लूं तेरी ही बाँहों में

झूम लूं तेरी ही बाँहों में एक खुशी बनकर, जो….मिल जाए तू मुझे एक जिंदगी बनकर …

तेरी रूह में

तेरी रूह में सन्नाटा है और मेरी आवाज़ में चुप तू अपने अंदाज़ में चुप है मैं अपने अंदाज़ में चुप !!

रहने दे कुछ बाते

रहने दे कुछ बाते यूं ही अनकही सी, कुछ जवाब तेरी मेरी ख़ामोशी मे अटके ही अच्छे है़।

हमने गुजरी हुई

हमने गुजरी हुई वफ़ाओ का हवाला जो दिया…!!! वो हंस के कहने लगे…”रात गई बात गई”…

कैसे किससे क्या करें

कैसे किससे क्या करें, जाकर कहाँ अपील। कोर्ट कचहरी में चले, झूठी सिर्फ़ दलील।।

काश मेरा घर

काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता मोहब्बत न सही दीदार तो नसीब होता।।।

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