इस दौर में

इस दौर में इंसानो का चेहरा नही मिलता… मैं कब से नकाबों की तहें खोल रहा हूँ…

ज्यादा ख्वाहिशें नही

ज्यादा ख्वाहिशें नही ऐ ज़िंदगी तुझसे, बस़ ज़िंदगी का अगला लम्हा पिछले से थोड़ा बेहरतीन हो…

दिल का दर्द

दिल का दर्द जब , जख्म बन जाता है… तो, क़तरा भी समंदर बन जाता है!

तेरी मोहब्बत की तलब

तेरी मोहब्बत की तलब थी इस लिए हाथ फैला दिए वरना हमने तो कभी अपनी ज़िंदगी की दुआ भी नही माँगी।

कोई जुदा नहीं कर पाएगा

फिर कोई जुदा नहीं कर पाएगा हमें… अगली बार आऊंगा मैं तेरे मजहब का बनके..

अकेले हम ही

अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब, नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे।

फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ

फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ मैं अपना अंदाज़ औरों से जुदा रखता हूँ लोग मंदिर मस्जिदों में जाते हैं मैं अपने दिल में ख़ुदा रखता हूँ|

आईने में वो

आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं, मर जाए कि जी जाए कोई उन की बला से !!

तुम सामने बैठे हो

तुम सामने बैठे हो तो है कैफ़ की बारिश, वो दिन भी थे जब आग बरसती थी घटा से !!

अब ना रहा

अब ना रहा तेरा कोई राब्ता मुझसे, शायद …..इसलिए ……, मेरी खामोशियां भी है अब बेअसर तुझपे।

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