मुझसे ज्यादा खुशनसीब तो मेरे लिखे लफ्ज हैं.. जिन्हें कुछ देर तक तो पढ़ेंगी निगाहें तेरी
Category: Quotes
ख़्वाहिश-ऐ-दिल
ऐ ज़िन्दगी ख़्वाहिश-ऐ-दिल तो सुन मेरी..!! वो सँवारे खुद को बेइंतेहा और में उसका घूंघट उठाऊ…!
खामोशी की भाषा
खामोशी की भाषा चुप्पियाँ जानती हैं,,, स्पर्श की कविता उँगलियाँ जानती है…
किसी सहरा में
किसी सहरा में महकता गुलिस्ताँ न हो जाऊँ, हर ऐब सुधार लूँ तो फ़रिश्ता न हो जाऊँ..
मुझे झटक के
मुझे झटक के तो देखो..!! जर्रे जर्रे से आप निकलेंगे…
बहुत वक़्त बाद
बहुत वक़्त बाद अहसास हुआ.. वो जो छूट गया वो ज़रूरी था..!
तुम एक रोज़
तुम एक रोज़ अनोखी सी एहतियात के साथ मिरी खुली हुई. बॉहों. तक आ के लोट गयी
कुछ उनकी मजबूरियाँ..
कुछ उनकी मजबूरियाँ.. कुछ मेरी कश्मकश.. . . बस यूँ ही एक ख़ूबसूरत कहानी को.. खत्म कर दिया हमने…
कुछ सर्द रातों में
कुछ सर्द रातों में मैंने ख़ुद को ही टुकड़ा टुकड़ा आग में झोंका है
इतने ख़ामोश भी
इतने ख़ामोश भी रहा न करो ग़म जुदाई में यूँ किया न करो ख़्वाब होते हैं देखने के लिए उन में जा कर मगर रहा न करो |