मेरी जगह कोई

मेरी जगह कोई और हो तो चीख उठे, मैं अपने आप से इतने सवाल करता हूँ !!

इस शहर में

इस शहर में अंधे और बहरे बसते हैं, कैसे मान लू जलसा हुआ होगा ।।

जिस दिन मेरे हाथों में

जिस दिन मेरे हाथों में छाले नहीं आते … मेरे बच्चो के मुह में निवाले नहीं जाते …

मैरे जख़्म है

मैरे जख़्म है कि ,दिखते नहीं, ये मत समझिये ,की दुःखते नहीं…

शिद्दत ए ग़म

शिद्दत ए ग़म से शर्मिंदा नहीं वफ़ा मेरी रिश्ते जिनसे गहरे हो,जख्म भी गहरे मिलते है |

खतों से तेरे

खतों से तेरे पुराने, आती है वफा की खुशबू , ये तितली तो नही इसको उडाऊं कैसे।

बख्शे हम भी न गए

बख्शे हम भी न गए बख्शे तुम भी न जाओगे, वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना।

रिहाई दे दो

रिहाई दे दो मुझे तुम अपनी यादों की कफस से , कि तेरी यादों के कफस में दम घुटता है मेरा !!

हाल तो पूछ लू

हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी, ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है|

ना मिला कोई

ना मिला कोई तुम जैसा आज तक , पर तकलीफ ये है कि मिले तुम भी नही|

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