और थोड़ा सा बिखर जाऊँ ..यही ठानी है….!!! ज़िंदगी…!!! मैं ने अभी हार कहाँ मानी है….
Category: Mosam Shayri
दुनिया से बेखबर
दुनिया से बेखबर चल कही दूर निकल जाये
वो देखें इधर तो
वो देखें इधर तो उनकी इनायत, ना देखें तो रोना क्या, जो दिल गैर का हो, उसका होना क्या, ना होना क्या…
ग़म मिलते हैं
ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी… ये बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया…
वो दास्तान मुकम्मल करे
वो दास्तान मुकम्मल करे तो अच्छा है मुझे मिला है ज़रा सा सिरा कहानी का..
तुझे जी नहीं पा रहे हम
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में,तुझे वक़्त ही नहीं दे पा रहे हम,माफ़ करना ऐ ज़िंदगी, तुझे जी नहीं पा रहे हम…..
ज़ख्म इतने गहरे हैं
ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशान बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुलो रही आँखें; अब इससे ज्यादा इंतज़ार क्या करें!
ख़ुद अपना ही साया
ख़ुद अपना ही साया डराता है मुझे, कैसे चलूँ उजालों में बेख़ौफ़ होकर?
ख़रीद सको न जिसको
ख़रीद सको न जिसको दौलत लूटा कर भी बिक जाता है वो तो केवल एक मुस्कान में !
सितम याद आ रहा है
सितम याद आ रहा है रह रहकर.. मोहब्बत में कितने ज़ालिम सा था वो….