कुछ रिश्तों के खत्म होने की वजह सिर्फ यह होती है कि.. एक कुछ बोल नहीं पाता और दुसरा कुछ समझ ही नहीं पाता।
Category: Mosam Shayri
हो जाता है
हो जाता है जैसे पत्थर से खुदा कोई । ऐसे वो मेरा खुदा होकर पत्थर हो गया ।।
सुविचारों का असर
सुविचारों का असर इसलिए नहीं होता क्योंकि लिखने वाले और पढने वाले दोनों यह समझते है की ये दूसरों के लिए है।
अजीब सी बस्ती में
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा। जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है।
रोज़ बदलो न इनको
रोज़ बदलो न इनको यूँ लिबासों की तरह, ये रिश्तें हैं जनाब बाज़ारों में कहाँ मिलते हैं।
आँखे ज़िसे चुने
आँखे ज़िसे चुने वो सही हो या ना हो, दिल से किया हुआ चुनाव कभी गलत नहीं होते..!!
कैसे बदलदू मै
कैसे बदलदू मै फितरत ए अपनी मूजे तुम्हें सोचते रहनेकी आदत सी हो गई है….
ख़त्म हो भी तो कैसे
ख़त्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू, ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही।
न छेड़ क़िस्सा वो
न छेड़ क़िस्सा वो उल्फत का, बड़ी लम्बी कहानी है ! मैं ज़िंदगी से नहीं हारा, बस किसी पे एतबार बहुत था ..
वो पत्थर कहाँ मिलता है
वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त, जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं..