जुबाँ न भी बोले तो, मुश्किल नहीं… फिक्र तब होती है जब… खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
Category: Love Shayri
एक हुनर है
जख्म छुपाना भी एक हुनर है, वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
सवाल नहीं था
ज़हर का सवाल नहीं था वो तो में पी गया तकलीफ़ लोगों को ये थी की में जी गया ।
शायर वही हुए
रात रोने से कब घटी साहब बर्फ़ धागे से कब कटी साहब सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..
इन्तेहा कर दो
तुम बेशक अपने ज़ुल्म की इन्तेहा कर दो नां जाने फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले.…”
कर्ज़े चुका दूं
सबके कर्ज़े चुका दूं मरने से पहले, ऐसी मेरी नियतं हैं, मौंत से पहले तूं भी बता दे ज़िन्दगी, तेरी क्या किमत हैं.”.
मोहब्बत के ज़ख़्म
किसी भी मौसम में आकर खरीद लीजिये जनाब, मोहब्बत के ज़ख़्म यहाँ हर मौसम में ताज़ा मिलेंगे…
मिल जाता है
सुना है सब कुछ मिल जाता है खुदा कि दुआ से , मिलते हो अब खुद या मांग लू तुम्हें खुदा से ?
मुझे भी आता है
हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है। उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है मेरा… वरना जीना तो मुझे भी आता है.
वो पूछते हैं
वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा, मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो.