कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे, के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से..
Category: Hinglish Shayri
जो तालाबों पर
जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ… वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते..!!!
बस यही सोच कर
बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…! धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…।।
एक मुद्दत से
एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…! एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!
खरोंचों के होते है..
कभी कभी कुछ घाव खुद कि खरोंचों के होते है..
पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ
पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ हैं बुलन्दी पर बहुत नीचाइयाँ हैं है ऐसी तेज़ रफ़्तारी का आलम कि लोग अपनी ही ख़ुद परछाइयाँ हैं गले मिलिए तो कट जाती हैं जेबें बड़ी उथली यहाँ गहराइयाँ हैं हवा बिजली के पंखे बाँटते हैं मुलाज़िम झूठ की सच्चाइयाँ हैं बिके पानी समन्दर के किनारे हक़ीक़त पर्वतों की… Continue reading पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ
कागज़ पर उतारे
कागज़ पर उतारे कुछ लफ्ज़, ना खामखा थे.. ना फ़िज़ूल थे.. ये वो जज़्बात थे.. लब जिन्हें कह ना पाएं थे कभी…!!
ख्वाहिश भले छोटी सी
ख्वाहिश भले छोटी सी हो लेकिन… उसे पूरा करने के लिए दिल ज़िद्दी सा होना चाहिए..
मुड़कर नहीं देखता
मुड़कर नहीं देखता अलविदा के बाद , कई मुलाकातें बस इसी गुरुर ने खो दी।
लगने दो आज महफिल
लगने दो आज महफिल …. शायरी कि जुँबा में बहते है …. . . तुम ऊठा लो किताब गालिब कि …. हम अपना हाल ए दिल कहते है |