जाने क्या था.. जाने क्या है जो मुझसे छूट रहा है.. यादें कंकड़ फेंक रही हैं और दिल अंदर से टूट रहा है|
Category: Love Shayri
मंज़िल का पता है
मंज़िल का पता है न किसी राहगुज़र का बस एक थकन है कि जो हासिल है सफ़र का…
बहुत खुशनसीब होते है
बहुत खुशनसीब होते है ना वो लोग। जिनके हाथो में मिलने के बाद बिछड़ने की लकीर नहीं होती……
अब तो आंखे भी
अब तो आंखे भी थक गई तेरी याद में रोते-रोते,कम्बख्त दिल है कि तुजे भुलाना ही नही चाहता|
कैसे अजीब क़िस्से हैं….
वक़्त के अपने भी कैसे अजीब क़िस्से हैं…. मेरा कटता नहीं .. और उनके पास होता नहीं
तू मिल मुझे रात के रस्ते
तू मिल मुझे रात के रस्ते मै ख्वाबों कों सजाता हूँ…! तू मौसम ईश्कनुमा करदे मोहोब्बत को मैं लाता हूँ…!
जुड़ने लगा है
जुड़ने लगा है दिल का हर टुटा टुकड़ा कमबख्त फिर न किसी से मुहब्बत हो जाये.. ।।
उसने पुछा के
उसने पुछा के सबसे ज्यादा क्या पसन्द है तुम्हे… हम बहुत देर तक उसे देखते रहे के शायद वो समझ जाये…
शिकायतों की पाई-पाई
शिकायतों की पाई-पाई जोड़कर रखी थी मैंने,,, उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया…
उसकी मोहब्बत भी
उसकी मोहब्बत भी बादलो की तरह निकली … छायी मुझ पर और बरस किसी और पर गयी …