और थोड़ा सा बिखर जाऊँ ..यही ठानी है….!!! ज़िंदगी…!!! मैं ने अभी हार कहाँ मानी है….
Category: Love Shayri
वों आजाद जुल्फें
वों आजाद जुल्फें छू रहीं उनके लबों को… और हम खफा हो बैठे हवाओं से..
दुनिया से बेखबर
दुनिया से बेखबर चल कही दूर निकल जाये
शीशा रहे बगल में
शीशा रहे बगल में, जामे शराब लब पर, साकी यही जाम है, दो दिन की जिंदगानी का…
वो देखें इधर तो
वो देखें इधर तो उनकी इनायत, ना देखें तो रोना क्या, जो दिल गैर का हो, उसका होना क्या, ना होना क्या…
अब तो अपनी परछाईं
अब तो अपनी परछाईं भी ये कहने लगी है , मैं तेरा साथ दूँगी सिर्फ उजालों में !!
ग़म मिलते हैं
ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी… ये बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया…
वो दास्तान मुकम्मल करे
वो दास्तान मुकम्मल करे तो अच्छा है मुझे मिला है ज़रा सा सिरा कहानी का..
बुझा सका है
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले….. ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता…!!
इस शहर के
इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों ! गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो !!