बैठे थे अपनी

बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे, आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….

गिल़ा भी किससे करें

करें किसका एतबार यहाँ, सब अदाकार ही तो हैं… और गिल़ा भी किससे करें, सब अपने यार ही तो है ।

रास्ता भटक जाए

ये मोहब्बत की राहें भी अजीब होती है,, एक रास्ता भटक जाए तो दुसरे की मंजिल खो जाती है

तेरी तारीफ में

सोचता हू तेरी तारीफ में कुछ लिखु…. फिर खयाल आया की कही पढने वाला भी तेरा दिवाना ना हो जाए….!!

तुम्हारा नाम मेरी दीवार

मेरी गली के बच्चे बहुत शरारती हैँ, आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये…….

किससे और कब

मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं होता..! ये वो घर है, जिसका दरवाजा नहीं होता.

कोई मुझ से

कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं? सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ? “मौसम” की या “अपनों” की

न समझ भूल

न समझ भूल गया हूँ तुझे , तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी हैं !! मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत ! सच्चाई मेरी वाफाओ में आज भी हैं !!

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