तारीफ़ करने वाले

तारीफ़ करने वाले बेशक आपको पहचानते होंगे, मगर फ़िक्र करने वालो को आपको ही पहचानना होगा

सोचा था घर बना कर

सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से.. पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला

बगैर आवाज़ के..

कितना भी सम्भाल के रख लो दिल को फिर भी, टूट ही जाता है और वो भी बगैर आवाज़ के..

खूबसूरत सा रिश्ता

बड़ा खूबसूरत सा रिश्ता है तेरा और मेरा.. न तूने कभी बाँधा और न मैने कभी छोड़ा !!

खत की खुशबु

खत की खुशबु बता रही है…. लिखते वख्त उनके बाल खुले थे…

कुछ लोग दिखावे की

कुछ लोग दिखावे की, फ़क़त शान रखते हैं, तलवार रखें या न रखें, म्यान रखते है!

सुरमे की तरह

सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने, तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में..

दिन ढले करता हूँ

दिन ढले करता हूँ बूढ़ी हड्डियों से साज़-बाज़…… जब तलक शब ढल नहीं जाती जवाँ रहता हूँ मैं…….

किताबों के पन्नो को

किताबों के पन्नो को पलट के सोचता हूँ, यूँ पलट जाए मेरी ज़िंदगी तो क्या बात है. ख्वाबों मे रोज मिलता है जो, हक़ीकत में आए तो क्या बात है….

जिसे ख़ामोश रहना आ गया

जिसे ख़ामोश रहना आ गया, समझो उसे हर हाल में ख़ुश रहना आ गया … !!

Exit mobile version