कभी कभी धोखा

इस कदर भूखा हूँ कि .. कभी कभी धोखा भी खा लेता हूँ…!!!!

याद मुलाक़ात की

है याद मुलाक़ात की वो शाम अब तक, मैं तुझको भूलने में हूँ नाक़ाम अब तक…!

मौत का गवाह हूँ

बेतरतीब बेमकसद बेपरवाह हूँ पिछली सदी की मौत का गवाह हूँ

फ़िक्र रहती है

एक काम करो… इस दिल को तुम ही रख लो, बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी..!!

लगता है वो

उल्फ़त, मोहब्बत, वफ़ा, अफ़साने, अश्क। लगता है वो आयी थी जिंदगी में सिर्फ ऊर्दू सिखाने।

समय के एक तमाचे

समय के एक तमाचे की देर है प्यारे, मेरी फ़क़ीरी भी क्या, तेरी बादशाही भी क्या..

जिसके पेट भरे है

जिसके पेट खाली है वो झंडा बेच रहे हैं, और जिसके पेट भरे है वो अपना देश बेच रहे हैं।

अपनी मर्जी से

अपनी मर्जी से तो मुझे खाक भी मंजूर है… तेरी शर्तो पर तो ताज भी मंजूर नहीं…!!!

इंसान सब कुछ

इंसान सब कुछ कोपी कर सकता है. . . केवल नसीब या किस्मत कोपी नहीं कर सकता…

मन को बस

मन को बस थोडा सा मीठा कर लो क्योकि….. इस धरा का … इस धरा पर ही धरा रह जायेगा…

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