तुम ने वादा किया था मेरे संग चलने का …. फिर ये फन कहाँ से सीखा रास्ता बदलने का …
Category: Hindi Shayri
झूठ बोलने का रियाज़
झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ, सुबह और शाम में; सच बोलने की अदा ने हमसे कई अज़ीज़ छीन लिए।
दुनिया में बहुत कम
दुनिया में बहुत कम लोग, आपका दुःख समझते है~ बाकी तो सब कहानी सुनना पसंद करते है|
तुमसे मिलने की तलब
तुमसे मिलने की तलब, कुछ इस तरह लगी है “साहब” जिस तरह से कोई मयकश, मयखाने की तलाश करता है !!
ख़ुशी दे या गम
ख़ुशी दे या गम दे दे -मग़र देते रहा कर- तू उम्मीद है मेरी… तेरी हर चीज़ अच्छी लगती है…
आज फिर बैठे है
आज फिर बैठे है इक हिचकी के इंतज़ार में…! पता तो चले वो हमें कब याद करते है …
मैं क्यों कहूं उसे
मैं क्यों कहूं उसे, कि मुझसे बात कर, क्या उसे नहीं मालूम मेरा दिल नहीं लगता उसके बिना !
कौन शरमा रहा है
कौन शरमा रहा है ‘आज’ यूँ हमें फ़ुर्सत में याद कर के……… हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं, पर हिच-किचा रही हैं….
हमारी कद्र उनको होगी
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन, अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को….!!
कमाल का ताना दिया
कमाल का ताना दिया आज किसी ने मुझे…. की लिखते तो खूब हो कभी समझा भी दिया करो..