कुछ भी नया करने में

कुछ भी नया करने में संकोच मत करो। ये मत सोचो कि हार होगी ? हार तो किसी की नहीं होती। या तो जीत मिलती हैं, या सीख मिलती हैं।

वो मुझसे पूछती है

वो मुझसे पूछती है की ख्वाब किस-किस के देखते हो, बेखबर जानती ही नहीं की यादें उसकी सोने कहाँ देती है..

इस तरह अपनाया है

तक़दीर को कुछ इस तरह अपनाया है मैंने जो नहीं थी तक़दीर में उसे भी बेपनाह चाहा है मैंने|

Exit mobile version