इश्क क्या जिंदगी देगा

इश्क क्या जिंदगी देगा किसी को दोस्त….. ये तो शुरू ही किसी पर मरने से होता है…!!

मसरूफियत में आती है

मसरूफियत में आती है बेहद तुम्हारी याद….!!और फुरसत में तेरी याद से फुरसत नहीं मिलती…..!!

बड़ा सख्त मिज़ाज है

बड़ा सख्त मिज़ाज है वो शख्स, उसे याद रहता है कि मुझे याद नहीं करना…

सबकुछ निभा गया

वो तो मैं था कि पागल सबकुछ निभा गया, ज़िंदगी भर वर्ना मुह्ब्बत कौन करता है..

एक तो वैसे ही …..

एक तो वैसे ही ….. तुम्हे भुलाना मुश्किल है और रोज़ मम्मी……. बादाम खिला देती है.

जख्म कैसे दिखाऊं

जख्म कैसे दिखाऊं ये तुमको…. सबने मिल के मुझे सताया है…

ये भी मुझे

ये भी मुझे नही मालूम… किस मोहल्ले में है मकान तेरा..

रहे दो दो फ़रिश्ते

रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा

वो एक ख़त

वो एक ख़त जो तूने कभी मुझे लिखा ही नहीं…? देख मै हर रोज़ बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ….

खुश तो वो रहते हैं

खुश तो वो रहते हैं जो जिस्मो से मोहब्बत करते हैं, रूह से मोहब्बत करने वालों को अक्सर तड़पते देखा है..

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