तेरी यादें हर रोज़

तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास, लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको..!!

सिर्फ मोहब्बत ही

सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है.. जो सिख जाता है वही हार जाता है..

ज़ख़्म दे कर

ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत, दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!

किताबें कैसी उठा लाए

किताबें कैसी उठा लाए मय-कदे वाले, ग़ज़ल के जाम उठाओ बड़ा अँधेरा है…

हम वही हैं

हम वही हैं,बस ज़रा ठिकाना बदल लिया है तेरे दिल से निकलकर अब ख़ुद में रहते हैं|

किस किस तरह से

किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं, मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम..

अब हर कोई

अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए ।

वो धागा ही था

वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया… और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर…।

वो जान गयी थी

वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं वो नया जख्म दे गई मेरी ख़ुशी के लिए…

बड़ी अजीब सी

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी उन्की …..!पहले पागल किया,फिर पागल कहा, फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….!!

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