हमने गुजरी हुई

हमने गुजरी हुई वफ़ाओ का हवाला जो दिया…!!! वो हंस के कहने लगे…”रात गई बात गई”…

कैसे किससे क्या करें

कैसे किससे क्या करें, जाकर कहाँ अपील। कोर्ट कचहरी में चले, झूठी सिर्फ़ दलील।।

काश मेरा घर

काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता मोहब्बत न सही दीदार तो नसीब होता।।।

बन्दे तू कर बंदगी

बन्दे तू कर बंदगी, तो पावे दिदार । अवसर मानुष जनम का बहुरी न बारंबार ॥

मुहब्बत शोर है

मुहब्बत शोर है तो शोर मत कर इबादत है तो फिर, कुछ और मत कर

घुटन के आँसू पीता है

घुटन के आँसू पीता है , जो रिश्तों में नही किश्तों में जीता है ….

महफील भी सजी है..

महफील भी सजी है..सनम भी ऑनलाइन है… हम कनफ्युज़ है, अब इश्क करे या शायरी…?

लुढ़क जाता हूँ

लुढ़क जाता हूँ अक्सर तुझमें.. तेरे इश्क़ सी ढलान; कहीं और पाता नहीं हूँ मैं…

कभी मुझे लिखा ही नहीं..

वो एक ख़त जो तूने कभी मुझे लिखा ही नहीं…? देख मै हर रोज़ बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ….

जो भूल चुका है

यकीन करो। जो भूल चुका है तुम्हें वो भी याद करेगा बस, उसके मतलब की दिन आने दो।

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