रहता हूं किराये के घर में… रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं…. मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी… बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं…. जल जायेगा ये मेरा घर इक दिन… फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं…. खुद के सहारे मैं श्मशान तक भी ना जा सकूंगा… इसीलिए जमाने में… Continue reading रहता हूं किराये के घर में
Category: हिंदी शायरी
गुज़र गया आज का दिन भी
गुज़र गया आज का दिन भी तमाम ख्वाहिशे लेकर.. साँसों ने शरीर का दामन ना छोड़ा तो कल फिर मिलेंगे.. गुज़र गया आज का दिन भी तमाम ख्वाहिशे लेकर.. साँसों ने शरीर का दामन ना छोड़ा तो कल फिर मिलेंगे..
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से तेरी यादों
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से तेरी यादों का रिश्ता, बातचीत किसी से भी हो, ख्याल तेरा ही रहता है…!!!
तू उदास न रहा कर
तू उदास न रहा कर तुझे वास्ता है हमारा , एक तेरा ही चेहरा देख कर तो हम अपना गम भुलाते हैं…!!!
एक बार आना है तेरे शहर में जिन्दगी
एक बार आना है तेरे शहर में जिन्दगी, देखूँ तो सही, बेवफाओं का शहर होता कैसा है…!!!
वाह रे दोगले समाज
वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं… पैसे वाले की बेटी.. रात के आठ बजे कही जाए.. तो “चलन” है…! गरीब की बेटी… अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए.. तो “बदचलन” है..!!
जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया
जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया… तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो समझदार थे…
अभी सूरज नही डुबा जरा सी शाम होने दो
अभी सूरज नही डुबा जरा सी शाम होने दो मैँ खुद लौट जाऊँगा मुझे नाकाम तो होने दो मुझे बदनाम करने का बहाना ढुँढता है जमाना मैँ खुद हो जाऊँगा बदनाम पहले नाम तो होने दो
मत सोच इतना
मत सोच इतना…. जिन्दगी के बारे में , जिसने जिन्दगी दी है… उसने भी तो कुछ सोचा होगा…!!!
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का ..! “एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं”