हजारों महेफिलें है

हजारों महेफिलें है और लाखो मेले है,पर जहां तुम नहीं वहां हम अकेले है !!

तुम मेरे साथ चलो

तुम मेरे साथ चलो सब को दिखाने के लिये, फिर किसी मोड़ पर चुपके से जुदा हो जाना !!

आशियाने बनें भी

आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब… जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते..!!

रहते हैं साथ-साथ

रहते हैं साथ-साथ मैं और मेरी तन्हाई करते हैं राज की बात मैं और मेरी तन्हाई दिन तो गुजर ही जाता है लोगो की भीड़ में करते हैं बसर रात में मैं और मेरी तन्हाई !!

उससे कहना कि

उससे कहना कि तेरी ‘याद’ बहुत आती है … ये भी कहना कि कोई और नहीँ है मेरा…

फिर ग़लतफैमियो में

फिर ग़लतफैमियो में डाल दिया.. जाते हुए मुस्कुराना ज़रूरी था ?

अपनी मुस्कुराहट को

अपनी मुस्कुराहट को जरा काबू में रखिए, दिल ए नादान कहीं इस पे शहीद ना हो जाए|

रात को जीत

रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़ कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है |

उड़ने दो मिट्टी

उड़ने दो मिट्टी,कहाँ तक उड़ेगी, हवा का साथ छूटेगा, ज़मीं पर आ गिरेगी…!

चाहें कितनी भी कर लो…

चाहें कितनी भी कर लो… इश्क़ में सौ ग्राम मुहब्बत हमेशा कम रह ही जाएगी !!!

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