ये गलत कहा किसी ने

ये गलत कहा किसी ने की मेरा पता नहीं है, कोई ढूँढने की हद तक मुझे ढूंढता नहीं है।

कब्र को देख के

कब्र को देख के, ये रंज होता है, दोस्त के इतनी सी जगह पाने के लिए कितना जीना पड़ता है|

कौन समझ पाया हे

कौन समझ पाया हे आज तक हमे….हम अपने हादशो के इकलौते गवाह है.!!

सच्ची होनी चाहिए !!

मोहब्बत बेइंतेहा हो या ना हो, बस सच्ची होनी चाहिए !!

चौराहे पर चाय वाले

चौराहे पर चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा…… “चाय के साथ क्या लोगे साहब”? ज़ुबाँ पे लब्ज आते आते रह गए “पुराने यार मिलेंगे क्या”???

मेरी गैरमौजूदगी में आता हैं

चुपचाप मेरी गैरमौजूदगी में आता हैं, यूँ ईक ख्याल सब ईखर-बिखर कर जाता हैं |

तेरे वजूद से है

तेरे वजूद से है मेरे गुलिस्तां में रौनकें सारी…!! तेरे बगैर इस दुनिया को हम वीरान लिखते हैं…!!

जनाजा उठा है

जनाजा उठा है आज कसमों का मेरी, एक कंधा तो तेरे वादों का भी होना चाहिए !!

तेरी हसरत दिल में

तेरी हसरत दिल में यूँ बस गई है, जैसे अंधे को हसरत आँखों की..

तुझे ही फुरसत ना थी

तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की, मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..

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