बेहिसाब हसरतें न पालिये

बेहिसाब हसरतें न पालिये. जो मिला है उसे संभालिये..!

कितना भी समेट लो..

कितना भी समेट लो.. हाथों से फिसलता ज़रूर है.. ये वक्त है साहब..बदलता ज़रूर है…

कुछ लोग दिखावे की

कुछ लोग दिखावे की, फ़क़त शान रखते हैं, तलवार रखें या न रखें, म्यान रखते है!

मेरी ख़ामोशी से

मेरी ख़ामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता… और शिकायत में दो लफ्ज़ कह दूँ तो वो चुभ जातें है…!!!

सुरमे की तरह

सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने, तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में..

दिन ढले करता हूँ

दिन ढले करता हूँ बूढ़ी हड्डियों से साज़-बाज़…… जब तलक शब ढल नहीं जाती जवाँ रहता हूँ मैं…….

किताबों के पन्नो को

किताबों के पन्नो को पलट के सोचता हूँ, यूँ पलट जाए मेरी ज़िंदगी तो क्या बात है. ख्वाबों मे रोज मिलता है जो, हक़ीकत में आए तो क्या बात है….

जिसे ख़ामोश रहना आ गया

जिसे ख़ामोश रहना आ गया, समझो उसे हर हाल में ख़ुश रहना आ गया … !!

खुदखुशी करने से

खुदखुशी करने से मुझे कोई परहेज नही है, बस शर्त ईतनी है कि फंदा तेरी जुल्फों का हो।

कुछ एहसास लिखते हैं

हम दिल के सच्चे कुछ एहसास लिखते हैं, मामूली शब्दों में ही सही, कुछ खास लिखते हैं।

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