कब तक बाँटता रहू

मैं कब तक बाँटता रहू ख़ुदको , मुझे अपना भी तो हिस्सा रखना चाहिए ….

समन्दर के सफ़र में

समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको हवाएँ तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए!!!

तो क्या करता

ना शाखों ने पनाह दी ना हवाओं ने संभाला वो पत्ता आवारा न बनता तो क्या करता

ख़ुशी मुझ को

उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझ को, यही जवाब मेरे पास है अपनी हार का !

जलाने के लिए

सूखे पत्ते की तरह बिखरे थे ए दोस्त, किसी ने समेटा भी तो जलाने के लिए !

सच मानते थे

यही सोच कर उसकी हर बात को सच मानते थे के इतने खुबसूरत होंठ झूठ कैसे बोलेंगे

सर्टिफिकेट देती है

20 साल की पढाई के बाद यूनिवर्सिटी यह जो डिग्री मिलने का सर्टिफिकेट देती है ना.. यह नोकरी मिलने का सर्टिफिकेट नहीं बल्कि ठोकरे खाने का सर्टिफिकेट है…

राते बढ़ा देती है

सर्द राते बढ़ा देती है सूखे पत्ते की कीमत… वक़्त वक़्त की बात है समय सब का आता है…

हाल -ए-मंजर

हाल -ए-मंजर……… कुछ और है तेरी ख़ामोशी बताती कुछ और है..

तेरे बारे में पूछते है

लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है कहाँ है वो, मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ…

Exit mobile version