ज़िंदगी के दो पड़ाव

ज़िंदगी के दो पड़ाव अभी उम्र नहीं है अब उम्र नहीं है ।

जब हौसला बना

जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का… फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…

तुझे पाना ही

तुझे पाना ही मेरी मोहब्बत नहीं है…तेरे अहसास भी मेरे जीने की वजह है ..

हर तकलीफ से

हर तकलीफ से इंसान का दिल दुखता बहुत है,.. पर हर तकलीफ से इंसान सीखता भी बहुत है….!!

अब मौत से

अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले, वो बदल गयी है जिसके लिए हम ज़िंदा थे​।

सागर का पानी घड़े में

सागर का पानी घड़े में भरा नहीं जाता, नाम दिल में हो तो खत में नहीं लिखा जाता

चंद ख़ामोश ख्याल

चंद ख़ामोश ख्याल और तेरी बातें,ख़ुद से गुफ़्तगू में गुज़र जाती है रातें ….

मैं ख़ामोशी तेरे मन की

मैं ख़ामोशी तेरे मन की तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा..! मैं एक उलझा लम्हा तू रूठा हुआ हालात मेरा..!!

ख़्वाब टूटे हैं

ख़्वाब टूटे हैं मगर हौंसले तो ज़िंदा हैं हम वो शै है जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं।

उस टूटे झोपड़े में

उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के

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