वो देखें इधर तो

वो देखें इधर तो उनकी इनायत, ना देखें तो रोना क्या, जो दिल गैर का हो, उसका होना क्या, ना होना क्या…

अब तो अपनी परछाईं

अब तो अपनी परछाईं भी ये कहने लगी है , मैं तेरा साथ दूँगी सिर्फ उजालों में !!

अधूरेपन का मसला

अधूरेपन का मसला ज़िंदगी भर हल नहीं होता… कहीं आँखें नहीं होतीं, कहीं काजल नहीं होता…

ग़म मिलते हैं

ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी… ये बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया…

वो दास्तान मुकम्मल करे

वो दास्तान मुकम्मल करे तो अच्छा है मुझे मिला है ज़रा सा सिरा कहानी का..

बुझा सका है

बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले….. ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता…!!

घर से निकले थे

घर से निकले थे हौसला करके लौट आए ख़ुदा-ख़ुदा करके ज़िंदगी तो कभी नहीं आई मौत आई ज़रा-ज़रा करके…!!

इस शहर के

इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों ! गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो !!

उसे ज़ली हुई लाशें

उसे ज़ली हुई लाशें नज़र नही आती मग़र वह सुई से धागा गुज़ार देता है

लिबास तय करता है

लिबास तय करता है आदमी की हैसियत.. कफ़न ओढ़ लो तो दुनिया कांधे पे उठाती है..

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