पास बैठे इंसान के लिए वक्त नहीं है…!!! दूर वाले.. आजकल नजदीक बहुत हैं…
Category: व्यंग्य शायरी
हवाओं की भी
हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें हैं ….कहीं बुझी राख भड़का दे कहीं जलते चिराग बुझा दे!
मुश्किल काम दे दिया
अब तो बड़ा मुश्किल काम दे दिया किस्मत ने मुझको, कहती है तुम तो सबके हो गए अब ढूंढो उनको जो तुम्हारे है।
हमको क़तरा कहकर
हमको क़तरा कहकर हँसना ठीक नहीं यार समंदर हम भी पानी वाले हैं
हम नही मानते
हम नही मानते कागज़ पे लिखे सज्र-ओ-नसब, गुफ़्तगू बता देती है कौन खानदानी है..
रोकने में क्यों लगी है
रोकने में क्यों लगी है दुनिया… इश्क़ है, फ़साद थोड़ी है साहब!!
किस की आँखों का
किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं मय-कदे हाथ बढ़ाते हैं जिधर जाते हैं …
तुम्हारी प्यारी सी नज़र
तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती, नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती, तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है, फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती..
साजन की आँखो मे
साजन की आँखो मे छुप कर जब झाँका,बिन होली खेले ही सजनी भीग गयी
पढ़ने वालों की कमी
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है!!