हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है। उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है मेरा… वरना जीना तो मुझे भी आता है.
Category: व्यंग्य शायरी
वो पूछते हैं
वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा, मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो.
फिक्र तब होती है
जुबाँ न भी बोले तो, मुश्किल नहीं… फिक्र तब होती है जब… खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
एक हुनर है
जख्म छुपाना भी एक हुनर है, वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
तकलीफ़ लोगों
ज़हर का सवाल नहीं था वो तो में पी गया तकलीफ़ लोगों को ये थी की में जी गया ।
मरने के लिए
जहर … मरने के लिए थोडा सा.. ! लेकिन जिंदा रहने के लिए ……. बहुत सारा पीना पड़ता है
रात रोने से
रात रोने से कब घटी साहब बर्फ़ धागे से कब कटी साहब सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..
एहतियातन मेरी हिम्मत
इसे सामान-ए-सफ़र मान, ये जुगनू रख ले, राह में तीरगी होगी, मेरे आंसू रख ले, तू जो चाहे तो तेरा झूठ भी बिक सकता है, शर्त इतनी है के सोने का तराजू रख ले, वो कोई जिस्म नही है जिसे छु भी सके, अगर नाम ही रखना है तो खुशबु रख ले, तुझको अनदेखी बुलंदी… Continue reading एहतियातन मेरी हिम्मत
हम प्यार देते है
नफरत को हम प्यार देते है ….. प्यार पे खुशियाँ वार देते है … बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना.. ” ऐ दोस्त ” हम वादे पर जिदंगी गुजार देते है
अपने बारे में
खुद अपने वजूद का ख्याल खो बैठोगें, अपने बारे में जीयादा ना सोचना दोस्तों……..!