उसे ज़ली हुई लाशें नज़र नही आती मग़र वह सुई से धागा गुज़ार देता है
Category: लव शायरी
ज़ख्म इतने गहरे हैं
ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशान बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुलो रही आँखें; अब इससे ज्यादा इंतज़ार क्या करें!
यू तो फूल बहूत थे
यू तो फूल बहूत थे बागो मे पर हमे पंसद वो था जो सब से अकेला था..!!!!
मैं तो मोम था
मैं तो मोम था इक आंच में पिघल जाता… तेरा सुलूक़ मुझे पत्थरों में ढाल गया….
कोई ये कैसे बताये
कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों हैं यही होता है तो आखिर यही होता क्यों हैं |
मुझे निकाल कर
मुझे निकाल कर वो शख़्स मेरे घर में रहा , जिस की शोहरत के लिए मैं सदा सफ़र में रहा…!
ख़ुद अपना ही साया
ख़ुद अपना ही साया डराता है मुझे, कैसे चलूँ उजालों में बेख़ौफ़ होकर?
वो अकलमंद कभी
वो अकलमंद कभी जोश में नही आता, गले तो लगता है,आगोश मे नही आता।
भूख रिश्तों को
भूख रिश्तों को भी लगती है, प्यार कभी परोस कर तो देखिए।
मिटती है भूख
मिटती है भूख इनके ही दम से जहान की ताक़त है कितनी देखिये लोगो किसान में….