बडा अजीब सा

बडा अजीब सा खौफ़ था उस शेर की आंखों मे., जिसने जंगल मे हमारे जुतों के निशान देखे…!!!!

बीता हुआ कल

बीता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ आने वाले कल का पता नहीं, इंतजार में ही खुश हूँ

जिन्दगी में गम है

किसी ने गालिब से पुछा कैसे हो ? गालिब ने हंस कर कहा- जिन्दगी में गम है, गम में दर्द है, दर्द में मज़ा है. . और .. मजे में हम हैं ।

बड़ी चाहत होगी

बड़ी चाहत होगी आखों में उसकी, यूही दिल किसी की नहीं सुनता।।।।

किस्सा-ए-उल्फ़त

किस्सा-ए-उल्फ़त बड़ी लम्बी कहानी है, मैं ज़माने से नहीं हारा बस किसी की बात मानी है

कोई सिखा दे

कोई सिखा दे हमें भी वादों से मुकर जाना बहुत थक गये हैं,निभाते निभाते.

ज़रा तल्ख़ लहज़े में

ज़रा तल्ख़ लहज़े में बात कर ज़रा बेरुख़ी से पेश आ, मैं इसी नज़र से तबाह हुआ हू मुझे देख न यूँ प्यार से…

तुम बदले तो

तुम बदले तो मज़बूरिया थी , हम बदले तो बेवफा हो गए ……

मेरे नज़दीक आके

मेरे नज़दीक आके देख तेरे एहसास की शिद्दत, मेरा दिल कितना धड़कता है तेरे नाम के साथ…!!

अजब मुकाम पे

अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का, सुकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठा है|

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