तुम क्या बिछड़े

तुम क्या बिछड़े भूल गये रिश्तों की शराफ़त हम, जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है..!!

मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी

मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी मैं बेवफा नहीँ सुन यह वक्त बेवफा है मेंरी खता नहीँ । हैं फासले जो दर्मिया किस्मत का खेल है मैं रूह में शामिल हूँ तुझसे जुदा नहीँ । बीमार ए दिल हुआ है तेरी तलाश में अब मौत मुकर्रर है लगती दवा नहीँ । हर हाल में करना मुझसे निबाह… Continue reading मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी

अंदर से कोई

अंदर से कोई और ही हैं हम साहब और बाहर से ” मजबूर “|

तेरी मज़बूरी भी

तेरी मज़बूरी भी होंगी, चलो मान लेते है.. पर तेरा वादा भी था मुझे याद रखने का..

मुस्कुरा जाता हूँ

मुस्कुरा जाता हूँ अक्सर गुस्से में भी तेरा नाम सुन कर, तेरे नाम से इतनी मोहब्बत है तो सोच तुझसे कितनी होगी..

दिल टूटने पे

दिल टूटने पे वही शख्स सबसे ज्यादा रोता है, जिसकी मोहबत अक्सर सच्ची होती है|

उदास दिल है

उदास दिल है मगर मिलता हूँ हर एक से हंस कर, यही एक फन सीखा है बहुत कुछ खो देने के बाद|

क्यों घबराता है

क्यों घबराता है पगले दुःख होने से , जीवन तो शुरू ही हुआ है रोने से|

आँखों से शुरु होकर

आँखों से शुरु होकर आँखों मे मर गई, मेरे ख्वाबों की उम्र बस इतनी सी रही|

मोहब्बत ही ऐसा खेल है

सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है.. जो सीख जाता है वही हार जाता है।

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